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शनिवार, जनवरी 22, 2011

शायरों की महफ़िल से

संकलन की कुछ रचनाएँ.
-अर्ज किया है:आरजू लखनवी ने
क्यों किसी रहबर से पूछूं अपनी मंजिल का पता,
मौजे दरिया खुद लगा लेती है साहिल का पता

-अर्ज किया है:अज्ञात ने 
इस उम्मीद से दुनिया मेरे क़दमों से लिपटी है,
किसी ने कह दिया होगा यहाँ कुछ मिलने वाला है.

-अर्ज किया है:मुनव्वर राणा ने
हमारे कुछ गुनाहों की सजाएँ साथ चलती है,
हम अब तन्हा नहीं चलते दवाएं साथ चलती हैं. 

-अर्ज किया है:प्रो. वसीम बरेलवी ने 
मुझे गम है तो बस इतना ही गम है,
तेरी दुनिया मेरे ख्वाबों से कम है.

-अर्ज किया है:डॉ. राहत इंदौरी ने
वो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जाएँ.

3 टिप्‍पणियां:

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हर वो भारतवासी जो भी भ्रष्टाचार से दुखी है,वो देश की आन-बान-शान के लिए अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु एक बार 022-61550789पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.यह श्री हजारे की लड़ाई नहीं है बल्कि हर उस नागरिक की लड़ाई है. जिसने भारत माता की धरती पर जन्म लिया है.पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है