मेरा लगभग 13 साल पहले एक ख्याब देखा था कि-एक अपनी शेरों-शायरी की "आपकी शायरी" के नाम से एक किताब प्रकाशित करूँ और फिर उसके बाद "आपकी शायरी" के द्धितीय संसकरण में आमन्त्रित शायरों की रचनाएँ प्रकाशित हो.आज यह ख्याब किताब के रूप में तो नहीं,मगर ब्लॉग के माध्यम से कुछ हद तक पूरा हो रहा है.इसमें अपनी रचनाओं के साथ ही कुछ दिल को छू लेने वाली संकलन रचनाएँ भी प्रकाशित करूँगा.
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शनिवार, जनवरी 22, 2011
शायरों की महफ़िल से
3 टिप्पणियां:
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उनकी याद में एक दिया भी नहीं,जिनके खून से जलते हैं चिरागे वतन. जगमगाते हैं मकबरे उनके, करते रहे है जो मां भारती को दफ़न..
जवाब देंहटाएंAchcha piryaas hai
जवाब देंहटाएंAchcha piryaas hai
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