दुश्मन की आँखें झलक आये
वो मुझे ठुकराकर तन्हा छोड़कर चल दिए,
मेरे जीने के सभी रास्ते बंद करके चल दिए.
खुदा ने पूछा बोल कैसी चाहता है अपनी मौत,
खुदा ने पूछा बोल कैसी चाहता है अपनी मौत,
मैंने कहा कि- दुश्मन की आँखें झलक आये ऐसी चाहता हूँ मौत.
" मौत ने पूछा कि-मैं आऊंगी तो स्वागत करोंगे कैसे,
मैंने कहा कि-राहों में फूल बिछाकर पूछूँगा आने में देर इतनी कैसे"
मैंने कहा कि-राहों में फूल बिछाकर पूछूँगा आने में देर इतनी कैसे"
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