1. भलाई से अगर हो मौत तो जीने से बेहतर है !
बुराई का तो जीना मौत के सदमें से बदतर है !!
2. चमन वालों ! अगर तर्जे अमल अपना न बदला तो,
चमन बदनाम भी होगा चमन वीरान भी होगा !
3. दौर वह आया है, कातिल की सज़ा कोई नहीं !
हर सज़ा उसके लिए है, जिसकी खता कोई नहीं !!
4. आह ! जो किसी के दिल से निकाली जाएगी !
क्या समझते हो ? वो खाली जाएगी !!
5. सदा अमन चैन की तमन्ना रखने वालों !
कभी किसी को अमन-चैन परोसना भी सीखो !!
6. कोई रोती आँख न मिले, सुनें न मुख की करुण पुकार !
हँसता खिलता हर जीवन हो खुले धरा पर स्वर्ग द्वार !!
7. खेलकर हम जान पर उन्हें बचायेंगे !
यह न देखेंगे नदी में बहने वाला कौन है !!
8. खेलते हैं जो मजलूमों की जानों से !
हैवान अच्छे है ऐसे इंसानों से !!
9. अगर आराम चाहते हो तो नसीहत यह हमारी है !
किसी का मत दुखाओं दिल, सभी को अपनी जान प्यारी है !!
10. हम अत्याचार भी सह लेंगे मगर डर है तो यह है !
कि ज़ालिम को कभी फूलते-फलते नहीं देखा है !!
11. घास जो खाते है, वो जानवर होते हैं !
उनका क्या नाम जो जानवर ही खाते हैं !!
12. बेगुनाहों का लहू बहता हो जिसके नाम पर !
खुदा की कसम वो बन्दगी अच्छी नहीं !!
13. अब तो धर्म(मजहब) कोई ऐसा चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए !
मेरे दुःख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा कि ,
मैं रहूँ भूखा तो तुझ से भी न खाया जाए !!
14.झूठ से टूटे आबरू, जुल्म से टूटे राज !
धंधा टूटे उधार से, शर्म से टूटे काज !!
लोभी मानव सोच ले, मन में करे विचार!
बुराई का तो जीना मौत के सदमें से बदतर है !!
2. चमन वालों ! अगर तर्जे अमल अपना न बदला तो,
चमन बदनाम भी होगा चमन वीरान भी होगा !
3. दौर वह आया है, कातिल की सज़ा कोई नहीं !
हर सज़ा उसके लिए है, जिसकी खता कोई नहीं !!
4. आह ! जो किसी के दिल से निकाली जाएगी !
क्या समझते हो ? वो खाली जाएगी !!
5. सदा अमन चैन की तमन्ना रखने वालों !
कभी किसी को अमन-चैन परोसना भी सीखो !!
6. कोई रोती आँख न मिले, सुनें न मुख की करुण पुकार !
हँसता खिलता हर जीवन हो खुले धरा पर स्वर्ग द्वार !!
7. खेलकर हम जान पर उन्हें बचायेंगे !
यह न देखेंगे नदी में बहने वाला कौन है !!
8. खेलते हैं जो मजलूमों की जानों से !
हैवान अच्छे है ऐसे इंसानों से !!
9. अगर आराम चाहते हो तो नसीहत यह हमारी है !
किसी का मत दुखाओं दिल, सभी को अपनी जान प्यारी है !!
10. हम अत्याचार भी सह लेंगे मगर डर है तो यह है !
कि ज़ालिम को कभी फूलते-फलते नहीं देखा है !!
11. घास जो खाते है, वो जानवर होते हैं !
उनका क्या नाम जो जानवर ही खाते हैं !!
12. बेगुनाहों का लहू बहता हो जिसके नाम पर !
खुदा की कसम वो बन्दगी अच्छी नहीं !!
13. अब तो धर्म(मजहब) कोई ऐसा चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए !
मेरे दुःख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा कि ,
मैं रहूँ भूखा तो तुझ से भी न खाया जाए !!
14.झूठ से टूटे आबरू, जुल्म से टूटे राज !
धंधा टूटे उधार से, शर्म से टूटे काज !!
लोभी मानव सोच ले, मन में करे विचार!