किसी लेखक ने क्या खूब कहा है. |
जिंदगी और मौत
दोस्तों, 'मौत' शब्द पर एक लेखक ने "आनंद" फिल्म में अभिनेता राजेश खन्ना के माध्यम से कितना कुछ कहा है. इससे आप भली भांति परिचित है. मेरी उनके सामने कोई भी औकात नहीं हैं.मगर मैंने कुछ कहने का प्रयास किया है.गुण-अवगुणों का मूल्याकंन करें. इन दिनों जिंदगी की कुछ ठहर सी गई है. इसलिए अच्छे शब्दों का चयन भी करना भी लगभग भूल गया हूँ और शायद अब दुनिया में कुछ दिनों का ही मेहमान भी हूँ. मौत एक अटल सत्य है. इसको कोई अस्वीकार नहीं कर सकता है.बस इन दिनों मन में उठ रहे विचारों को शब्दों में समटने की कोशिश मात्र की है.
गौर कीजियेगा हम खुदा से जीने का यह बहाना बनाया करते थें कि :-
तब हम खुदा से कहा थें कि प्यार ही हमारी जिंदगी है !
अब जिंदगी रही नहीं, अब अपने पास जल्दी से बुला लें !!
*******
ले सको तो दुआएं लो, दे सको तो श्रमदान दो !
कर सको निस्वार्थ सेवा करो, दे सको तो प्यार-प्रेम दो !!
*******
यह देखो कैसा समय का फेर आया,
अपनी भूल अंग्रेजों की पर प्यार आया !
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति करते हैं हम हिंदी में,
समय व संख्या का जिक्र करते हैं अंग्रेजी में !!
*******
सेवा हम करने चले थें, उसके भी हम काबिल नहीं !
खर्च किया समय व रुपया, हुआ मगर सब निर्थक ही !!
*******
इस जिंदगी के सफर में हम अकेले ही चलें हैं !
देखना है कितने लोग मिलते हैं और कितने बिछड़ते है !!
*******
शरीर से क्यूँ नहीं निकलते प्राण
वरना कब की खत्म हो चुकी है,
हमारे लिए सांसें इन फिजाओं में !
यह तुम्हारा एहसान है हम पर
जो तुम्हारी बख्शी हुई सांसें लेकर,
जी रहे है तुम्हारे शहर में !!
*******
यह कसूर है हमारा के वो हमारी,
वेफा को वेवफाई की सौगात कहते हैं !
और कहते है जिंदगी मजे से जी रहे हो,
फिर क्यों मौत की दुआ मांगते हो !!
*******
गौर कीजिये हमने कुछ कहा है कि :-
मौत ने पूछा कि-मैं आऊँगी तो स्वागत करोंगे कैसे !
मैंने कहा कि-राह में फूल बिछाकर पूछूँगा आने में देर हुई इतनी कैसे !!
*******
खुदा ने पूछा कि-बोल "सिरफिरे" कैसी चाहता है अपनी मौत !
मैंने कहा कि-दुश्मन* की आँखें झलक आये ऐसी चाहता हूँ अपनी मौत !!
*क्योंकि हर मौत पर अपने रिश्तेदार तो रोते ही है.लेकिन मौत का मजा तब आता है. जब मौत पर दुश्मन भी रोता है.
*******
आज खबर अपनी मौत की लिख रहा हूँ !
इसलिए श्मशान का पता पूछ रहा हूँ.!!
*******
ऐ मेरे खुदा ! तू मुझे मौत क्यों नहीं देता !
अब मुझसे जिंदगी का बोझ उठाया नहीं जाता !!
तब हम खुदा से कहा थें कि प्यार ही हमारी जिंदगी है !
अब जिंदगी रही नहीं, अब अपने पास जल्दी से बुला लें !!
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ले सको तो दुआएं लो, दे सको तो श्रमदान दो !
कर सको निस्वार्थ सेवा करो, दे सको तो प्यार-प्रेम दो !!
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यह देखो कैसा समय का फेर आया,
अपनी भूल अंग्रेजों की पर प्यार आया !
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति करते हैं हम हिंदी में,
समय व संख्या का जिक्र करते हैं अंग्रेजी में !!
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सेवा हम करने चले थें, उसके भी हम काबिल नहीं !
खर्च किया समय व रुपया, हुआ मगर सब निर्थक ही !!
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इस जिंदगी के सफर में हम अकेले ही चलें हैं !
देखना है कितने लोग मिलते हैं और कितने बिछड़ते है !!
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शरीर से क्यूँ नहीं निकलते प्राण
वरना कब की खत्म हो चुकी है,
हमारे लिए सांसें इन फिजाओं में !
यह तुम्हारा एहसान है हम पर
जो तुम्हारी बख्शी हुई सांसें लेकर,
जी रहे है तुम्हारे शहर में !!
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यह कसूर है हमारा के वो हमारी,
वेफा को वेवफाई की सौगात कहते हैं !
और कहते है जिंदगी मजे से जी रहे हो,
फिर क्यों मौत की दुआ मांगते हो !!
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गौर कीजिये हमने कुछ कहा है कि :-
मौत ने पूछा कि-मैं आऊँगी तो स्वागत करोंगे कैसे !
मैंने कहा कि-राह में फूल बिछाकर पूछूँगा आने में देर हुई इतनी कैसे !!
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खुदा ने पूछा कि-बोल "सिरफिरे" कैसी चाहता है अपनी मौत !
मैंने कहा कि-दुश्मन* की आँखें झलक आये ऐसी चाहता हूँ अपनी मौत !!
*क्योंकि हर मौत पर अपने रिश्तेदार तो रोते ही है.लेकिन मौत का मजा तब आता है. जब मौत पर दुश्मन भी रोता है.
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आज खबर अपनी मौत की लिख रहा हूँ !
इसलिए श्मशान का पता पूछ रहा हूँ.!!
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ऐ मेरे खुदा ! तू मुझे मौत क्यों नहीं देता !
अब मुझसे जिंदगी का बोझ उठाया नहीं जाता !!