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गुरुवार, अक्तूबर 13, 2011

शायरों की महफिल से

किसी लेखक ने क्या खूब कहा है.
 जिंदगी और मौत
दोस्तों, 'मौत' शब्द पर एक लेखक ने "आनंद" फिल्म में अभिनेता राजेश खन्ना के माध्यम से कितना कुछ कहा है. इससे आप भली भांति परिचित है. मेरी उनके सामने कोई भी औकात नहीं हैं.मगर मैंने कुछ कहने का प्रयास किया है.गुण-अवगुणों का मूल्याकंन करें. इन दिनों जिंदगी की कुछ ठहर सी गई है. इसलिए अच्छे शब्दों का चयन भी करना भी लगभग भूल गया हूँ और शायद अब दुनिया में कुछ दिनों का ही मेहमान भी हूँ. मौत एक अटल सत्य है. इसको कोई अस्वीकार नहीं कर सकता है.बस इन दिनों मन में उठ रहे विचारों को शब्दों में समटने की कोशिश मात्र की है.
गौर कीजियेगा हम खुदा से जीने का यह बहाना बनाया करते थें कि :-

तब हम खुदा से कहा थें कि प्यार ही हमारी जिंदगी है !
अब जिंदगी रही नहीं, अब अपने पास जल्दी से बुला लें !!
*******
ले सको तो दुआएं लो, दे सको तो श्रमदान दो !
 कर सको निस्वार्थ सेवा करो, दे सको तो प्यार-प्रेम दो !!
*******
यह देखो कैसा समय का फेर आया,
अपनी भूल अंग्रेजों की पर प्यार आया !
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति करते हैं हम हिंदी में, 
समय व संख्या का जिक्र करते हैं अंग्रेजी में !!
*******
 सेवा हम करने चले थें, उसके भी हम काबिल नहीं !
  खर्च किया समय व रुपया, हुआ मगर सब निर्थक ही !!
*******
 इस जिंदगी के सफर में हम अकेले ही चलें हैं !
  देखना है कितने लोग मिलते हैं और कितने बिछड़ते है !!
*******
 शरीर से क्यूँ नहीं निकलते प्राण
  वरना कब की खत्म हो चुकी है,
  हमारे लिए सांसें इन फिजाओं में !
 यह तुम्हारा एहसान है हम पर
 जो तुम्हारी बख्शी हुई सांसें लेकर,
 जी रहे है तुम्हारे शहर में !!
*******
 यह कसूर है हमारा के वो हमारी,
 वेफा को वेवफाई की सौगात कहते हैं !
और कहते है जिंदगी मजे से जी रहे हो,
फिर क्यों मौत की दुआ मांगते हो !!
*******
गौर कीजिये हमने कुछ कहा है कि :-

 मौत ने पूछा कि-मैं आऊँगी तो स्वागत करोंगे कैसे !
मैंने कहा कि-राह में फूल बिछाकर पूछूँगा आने में देर हुई इतनी कैसे !!
*******
 खुदा ने पूछा कि-बोल "सिरफिरे" कैसी चाहता है अपनी मौत !
मैंने कहा कि-दुश्मन* की आँखें झलक आये ऐसी चाहता हूँ अपनी मौत !!

*क्योंकि हर मौत पर अपने रिश्तेदार तो रोते ही है.लेकिन मौत का मजा तब आता है. जब मौत पर दुश्मन भी रोता है.
*******
 आज खबर अपनी मौत की लिख रहा हूँ !
इसलिए श्मशान का पता पूछ रहा हूँ.!!
*******
ऐ मेरे खुदा ! तू मुझे मौत क्यों नहीं देता !
अब मुझसे जिंदगी का बोझ उठाया नहीं जाता !!

मंगलवार, जुलाई 12, 2011

आपका स्वागत है शायरों की महफिल में

 
जी हाँ, आपका भी स्वागत है शायरों की महफिल में http://aap-ki-shayari.blogspot.com उपरोक्त ब्लॉग पर आप कोई भी शेर, तुकबंदी, ग़ज़ल और कविता आदि अपनी या संकलन की हुई रचनाएँ प्रकाशित करवाने के लिए भेज सकते है.बस हर रचना भेजते समय इतना ध्यान रखें कि-प्रत्येक रचना के साथ अपना पूरा नाम, पता, फ़ोन नं., ईमेल आदि के साथ यह जरुर लिखें. उपरोक्त रचना स्वंय की लिखी हुई है या संकलन की हुई है. अगर संभव हो तो अपनी पासपोर्ट साइज़ फोटो भी संग्लन करें. अगर आप अपनी रचना के साथ अपना नाम प्रकाशित नहीं करवाना चाहते हैं. तब रचना के साथ नाम न छापने का अनुरोध करना न भूलें. यहाँ एक बात गौरतलब है कि-किसी भी रचना के लिए किसी प्रकार का मेहनतना नहीं दिया जायेगा. 
नोट : आपकी शायरी ब्लॉग पर अपनी कोई भी रचना भेजने से पहले उपरोक्त ब्लॉग का अवलोकन एक बार जरुर कर लें.

सोमवार, अप्रैल 18, 2011

शायरों की महफिल से


श्री अन्ना हजारे अभियान के बारे में बताते हुए
 दोस्तों! आज की रचना "एक तारा अपने पास बुलाता है"सीमा सिंह द्वारा रचित है.मिस सीमा सिंह से मेरी मुलाकात 5 अप्रैल को श्री अन्ना हजारे के जन लोकपाल बिल के दौरान हुई थीं.वहां पर मैंने अपना विजिटिंग कार्ड दिया.उसके बाद इनका मेरे पास फ़ोन आया.विचारों का आदान-प्रदान हुआ.मिस सीमा सिंह विचारों को जानकार अच्छा लगा और पता चला पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ना चाहती है.मगर इन्होने पत्रकारिता का कोई कोर्स नहीं किया हुआ है.लेकिन इनकी विचारधारा और कई लेख पढ़कर मुझे ज्ञात हुआ एक अच्छे पत्रकार के सभी गुण इनमें विधमान है.इनके पास एम्.ए की डिग्री है और पत्रकारिता का कोई अनुभव नहीं है.मेरे पास पत्रकारिता का अनुभव है और मैट्रिक का सर्टिफिकेट है.हम दोनों में एक ही समानता है कि-दोनों को नौकरी नहीं मिलती है.कहीं पर अनुभव है तो डिग्री नहीं और कहीं पर डिग्री है तो अनुभव नहीं.मेरी विचारधारा इस विषय पर यह कहती है कि-जब एक मोची को जूते की मरम्मत करने का अनुभव है.तब मुझे उसकी डिग्री का क्या आचार डालना है.जब एक व्यक्ति के पास कार्य करने के गुण(डिग्री) है.तब अनुभव तो कार्य करते रहने के बाद ही आता है.
                       दोस्तों, मिस सीमा सिंह जी की उपरोक्त पहली प्रकाशित रचना है. अगर आपको इनकी रचना में कुछ भी अच्छा लगा हो तब आप टिप्पणी करने में कंजूसी मत करें.एक नए लेखक या पत्रकार का आप कितना हौसला बढ़ाते हैं. इनकी उपरोक्त रचना को कई बड़े संस्थान अस्वीकार कर चुके थें, क्योंकि वहां पर बडें-बडें लेखकों का नाम और राज चलता है. क्या मैंने उपरोक्त रचना प्रकाशन के चुन कर कोई गलती की है. यह सब आपकी टिप्पणियाँ ही बतायेंगी.

एक तारा अपने पास बुलाता है
दूर गगन से कोई एक तारा 
मुझको अपने पास बुलाता है 
शायद कुछ कहना चाहता है
मुझसे पर कह नहीं पाता है.
पास जाती हूँ जितना मैं 
उतना मुझसे दूर वो हो जाता है
रूठ जाती हूँ जब मैं उससे 
दूर से मुझे मनाता है
जब पास बुलाती हूँ मैं
उसे पास नहीं वो आता है
मुझसे अठखेली खेलकर 
अपने पास बुलाता है.
जाऊं भी तो कैसे 
दूर बहुत वो रहता है
चोरी-चुपके दूर गगन से वो
मुझको अपने पास बुलाता है
रातों को जब मैं सोना चाहूँ
सोने नहीं देता है, ख्याबों में आकर 
मुझसे मीठी-मीठी बातें करता है
मुझे ख्याबों की दुनियां में छोड़कर 
 फिर दूर गगन में चला जाता है
दूर गगन से कोई एक तारा 
मुझको अपने पास बुलाता है 
                               -सीमा सिंह

बुधवार, अप्रैल 13, 2011

शायरों की महफिल से

 आज एक दोस्त को ईमेल से भेजी रचनाओं का अवलोकन करें. ईमेल से दोस्त को भेजी रचना क्यों और कब, किन हालातों में लिखी गई है. इसका जिक्र भी किया गया है. मुहब्बत दोस्तों की है, जो निरन्तर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. आप की मुहब्बत में कितनी ताकत है. यह आपके द्वारा टिप्पणी करने के लिए निकले समय से पता चलेगा और टिप्पणी करते भी हैं या इससे एक समय की बर्बादी समझते हैं. फिर टिप्पणी करने के लिए अपनी अँगुलियों को कौन-कौन कष्ट देता है. यह तो भविष्य की गर्त में है. उपरोक्त ईमेल पत्र में से दोस्त (लड़की) का नाम सुरक्षा की दृष्टि से हटा दिया है. समाज व देश के प्रति हर व्यक्ति की जिम्मेदारी और फर्ज भी होता है.

गुरुवार, मार्च 31, 2011

शायरों की महफिल से

 आज आप सभी पाठकों के लिए "जीवन का लक्ष्य" समाचार पत्र के सर्वप्रथम अंक अक्तूबर 1997 में प्रकाशित एक रचना के साथ ही पिछले दिनों मेट्रो रेल में यात्रा के दौरान "कहे" शेर प्रस्तुत है.
तुम अघोषित युध्द लड़ते हो
तुम जब-जब, अख़बार पढ़ते हो, 
एक अघोषित-सा युध्द लड़ते हो,
असत्य से सत्य के लिए, 
अन्याय से न्याय के लिए,
भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ, 
युध्द.....महायुध्द......उनसे.......
जो संख्या में मुट्ठी भर है, 
मगर अकूत दौलत के स्वामी है,
और क्रूर, ताकतवर हैं, 
उनके दिमाग में धूर्तता है, छल है
उनके पास कानून, सत्ता का हथियार है, 
और वो हर हालत में, हमें दबाने, कुचलने,
खत्म करने को तैयार है, 
ऐसे में अपने अस्तित्व को 
कायम रखने के लिए
कुछ तो करना होगा, 
लिखें, पैने, नुकीले शब्द बाणों से, 
हमें यह युध्द लड़ना होगा, 
और.......इस महासंग्राम में,
मैं भी कलम का सिपाही बनकर, 
अपना सबकुछ न्यौछावर करने आया हूँ
"जीवन का लक्ष्य" के नाम से जलते, 
सुलगते शब्दों का हथियार
अख़बार लाया हूँ 
मेरा एक जीवन का लक्ष्य, 
असत्य का खंडन, पर्दाफाश.....
न्याय की स्थापना, सत्य का प्रचार,
रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का
पर्दाफाश करते हुए सनसनीखेज समाचार 
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है
हमें मिलता रहेगा, 
जागरूक पाठकगण का सहयोग और प्यार.  
******************************************************
वो बातों में जीत लेने की बात करते हैं.
उन्हें क्या मालूम प्यार में,
जीत, जीत नहीं होती और
हार, हार नहीं होती है. 
***********
न तुम सुनती हो, न वो सुनते हैं,
यह हमारी जिंदगी की कैसी कहानी है.
जो किसी को समझ नहीं आती है,
इसलिए कोई सुनना ही नहीं चाहता है.  

मंगलवार, मार्च 08, 2011

नसीबों वाले हैं, जिनके है बेटियाँ

नसीबों वाले हैं, जिनके है बेटियाँ   
घर की लक्ष्मी है लड़की,
भविष्य की आवाज़ है लड़की.
सबके सिर का नाज़ है लड़की,
माता-पिता का ताज है लड़की.
घर भर को जन्नत बनती हैं बेटियाँ,
मधुर मुस्कान से उसे सजाती है बेटियाँ.
पिघलती हैं अश्क बनके माँ के दर्द से,
रोते हुए बाबुल को हंसती हैं बेटियाँ.
सहती हैं सारे ज़माने के दर्दों-गम,
अकेले में आंसू बहती हैं बेटियाँ. 
आंचल से बुहारती हैं घर के सभी कांटे,
आंगन में फूल खिलाती हैं बेटियाँ.
सुबह की पाक अजान-सी प्यारी लगे,
मंदिर के दिए" की बाती हैं बेटियाँ.
जब आता है वक्त कभी इनकी विदाई का,
जार-जार सबको रुलाती हैं बेटियाँ.
समाज व जनहित हेतु संदेश
एक बेटी की पुकार-चाहे मुझको प्यार न देना, चाहे तनिक दुलार न देना, कर पाओ तो इतना करना, जन्म से पहले मार न देना. मैं बेटी हूँ-मुझको भी है जीने का अधिकार. मैया मुझको जन्म से पहले मत मार, बाबुल मोरे जन्म से पहले मत मार. "कन्या-भ्रूण-हत्या".... ना बाबा ना
                                    आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मेरी एक पुरानी रचना (जिससे अच्छी लगने पर मेरे समाचार पत्र "जीवन का लक्ष्य" से काटकर फोटोस्टेट द्वारा बड़ी करके थाना-कीर्ति नगर, दिल्ली की महिला अपराध शाखा में नोटिस बोर्ड पर लगया गया था) प्रस्तुत है. महिला अपराध शाखा के अधिकारियों ने चाहे अपने फर्ज व कर्तव्य का ईमानदारी से पालन नहीं किया हो. मगर एक समाज व देश के प्रति अपने पत्रकारिता के फर्ज की ईमानदारी के चलते ही अपने लैटर को इन्टरनेट पर डालते समय अपनी पत्नी का नाम "डिलेट" कर दिया है. मुझे फ़िलहाल "गाने" या किसी प्रकार की वीडियों रिकोटिंग इन्टरनेट पर डालना नहीं आता है. लेकिन उपरोक्त पोस्ट पढ़ लेने के बाद इन्टरनेट पर एक बार कृपया करके सलमान खान व नगमा द्वारा अभिनीत "बागी" फिल्म का 'चार दिन की है जिंदगी, हमें अपना फर्ज निभाना है' गीत जरुर सुन लेना. आज अपनी अनेकों बिमारियों के अलावा डिप्रेशन की बीमारी की वजय से कुछ अच्छी रचनाएँ नहीं लिख/कह पाता हूँ. न्याय व्यवस्था के अधिकारियों द्वारा अपना कर्तव्य व फर्ज ईमानदारी से नहीं निभाने के कारण कैसे मेरा जीवन और भविष्य लगभग चौपट हो गया है. अगर आपके पास समय हो तो कृपया किल्क करके संलग्न पत्र जरुर पढ़ें.
आप सभी के विचार निम्नलिखित विषय पर आमंत्रित है.
               क्या आज दहेज और क्रूरता के फर्जी मुकद्दमें दर्ज करा करके पुरुषों से ज्यादा महिलाएं घरेलू अत्याचार नहीं कर रही है? क्या इसमें कुछ फर्जी मुकद्दमों को देखते हुए संशोधन नहीं होने चाहिए? जिससे असली पीड़ित को जल्दी न्याय मिल सकें.

सोमवार, फ़रवरी 07, 2011

शायरों की महफिल से


कटोरा और भीख
कटोरा लेकर भीख भी मांग ली होती,
अगर सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी होती.
अपनी जीवन लीला खत्म कर ली होती,
अगर कानून ने इसकी मंजूरी दे दी होती. 
मैंने शराब कब की चख ली होती,
अगर संस्कारों ने इसकी मंजूरी दे दी होती.
अपनी पत्नी की हत्या कर दी होती,
अगर मेरे माता-पिता ने ऐसी शिक्षा दी होती.
अपनी जिंदगी खुशहाल कर ली होती,
अगर पत्नी ने दूषित मानसिकता बदल ली होती
मैंने भी लाखों रूपये रिश्वत दे दी होती,
अगर कलम अपनी वेश्या बना ली होती. 
मेरे प्रकाशन ने पत्रकारिता के फर्ज से गद्दारी कर ली होती, आज मेरी एक ब्लैकमेलर पत्रकार की छवि बन गई होती.

मैंने भी "राम जेठमलानी" की सेवा ले ली होती,
अगर सरकार द्वारा निर्धारित टैक्सों की चोरी कर ली होती.
हाईकोर्ट में न्याय की पुकार लगा ली होती,
काश! अपने ज़मीर व ईमान की बिक्री कर ली होती.
सुप्रीमकोर्ट में न्याय की पुकार लगा ली होती,
काश! मैंने भी दो नं. की कमाई कर ली होती.
कटोरा लेकर भीख भी मांग ली होती,
अगर सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी होती.

शुक्रवार, जनवरी 28, 2011

शायरों की महफिल से

 दुश्मन की आँखें झलक आये
वो मुझे ठुकराकर तन्हा छोड़कर चल दिए,
मेरे जीने के सभी रास्ते बंद करके चल दिए.
खुदा ने पूछा बोल कैसी चाहता है अपनी मौत,

मैंने कहा कि- दुश्मन की आँखें झलक आये ऐसी चाहता हूँ मौत. 
" मौत ने पूछा कि-मैं आऊंगी तो स्वागत करोंगे कैसे,
 मैंने कहा कि-राहों में फूल बिछाकर पूछूँगा आने में देर इतनी कैसे" 

शनिवार, जनवरी 22, 2011

शायरों की महफ़िल से

संकलन की कुछ रचनाएँ.
-अर्ज किया है:आरजू लखनवी ने
क्यों किसी रहबर से पूछूं अपनी मंजिल का पता,
मौजे दरिया खुद लगा लेती है साहिल का पता

-अर्ज किया है:अज्ञात ने 
इस उम्मीद से दुनिया मेरे क़दमों से लिपटी है,
किसी ने कह दिया होगा यहाँ कुछ मिलने वाला है.

-अर्ज किया है:मुनव्वर राणा ने
हमारे कुछ गुनाहों की सजाएँ साथ चलती है,
हम अब तन्हा नहीं चलते दवाएं साथ चलती हैं. 

-अर्ज किया है:प्रो. वसीम बरेलवी ने 
मुझे गम है तो बस इतना ही गम है,
तेरी दुनिया मेरे ख्वाबों से कम है.

-अर्ज किया है:डॉ. राहत इंदौरी ने
वो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जाएँ.

शुक्रवार, जनवरी 14, 2011

नौजवानों एक नया संकल्प लें

भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी
भारत माता फिर मांग रही आजादी
कल अंग्रेजों की जंजीरों से जकड़ी
आज भ्रष्टाचारियों की जंजीरों से जकड़ी
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं 

चलो उठो नौजवानों! सर पर बांध लो कफन
इन भ्रष्टाचारियों से नहीं मिलेगी आजादी
भारत माता को दिए बगैर क़ुर्बानी के
कल थें हम अंग्रेजों के गुलाम
आज हैं भ्रष्टाचारियों के मोहताज
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं
नहीं मिलता अब गरीब को इन्साफ हैं
बिका प्रशासन, नाकाम हुई कार्यप्रणाली
बिगड़ी व्यवस्था, भ्रष्ट हुई मीडिया भी
अब जजों के भी लगने लगे मोल
कोई कम में बिका, कोई ज्यादा में
चलो उठो नौजवानों! फिर बढ़ालो अपने कदम
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं
फिर से कब पैदा होंगे चन्द्रशेखर आजाद,
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, लालबहादुर शास्त्री
महात्मा गाँधी आदि जैसे नौजवान
आओ फिर से भरे दिल में जज्बा देशप्रेम का,
चलो उठो नौजवानों! हो जाओ तैयार!
भारत माता की आजादी के लिए अपना खून बहाने को,
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं
भौतिक सुखों के लालच में हुई
आज कलम भी बेईमान है
स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने स्विस के बैंक भर दिए
हमारे देश की जनता की जेब खाली है
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं
कोमनवेल्थ गेम्स के नाम पर लाखों-अरबों लुटा दिए
आज आम आदमी मंहगाई से बेहाल है
राजनीतिज्ञों और पूंजीपतियों के साथ
ही मीडिया के गंठ्बधन के भी
2जी संचार घोटाले ने खोले राज है
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं 

फाँसी का फंदा खुद बढ़-चढ़कर
चूमने वाले ऐसे नौजवान कब पैदा होंगे
कर रही भारत माता इंतज़ार है.
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं
आओ नौजवानों नए वर्ष में एक नया संकल्प लें
या हम मिट जायेंगे, या भ्रष्टाचारियों को मिटा देंगे
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं
चलो उठो नौजवानों, देने अपनी कुर्बानी
भरकर दिल में देशप्रेम का जज्बा
अब भ्रष्टाचारियों को बतला दें
हम भारत माँ के ऐसे बेटे हैं
जो अपनी कुर्बानी देने से अब नहीं झिझकेंगे.
भारत माता फिर मांग रही क़ुर्बानी हैं 
# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com, इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें और हिंदी में ईमेल कैसे भेजें जाने. नियमित रूप से मेरा ब्लॉग http://rksirfiraa.blogspot.com, 
http://sirfiraa.blogspot.com, 
http://mubarakbad.blogspot.com, http://aapkomubarakho.blogspot.com,
http://aap-ki-shayari.blogspot.com
http://sachchadost.blogspot.com देखें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. अच्छी या बुरी टिप्पणियाँ आप भी करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.

शनिवार, जनवरी 01, 2011

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!


नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आप सभी पाठकों / दोस्तों को "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं! आप व आपके परिवार के लिए नववर्ष 2011 मंगलमय हो! इन्हीं शब्दों के साथ ही .....

सुनहरे सपनों की झंकार, लाया है नववर्ष
खुशियों के अनमोल उपहार लाया है नववर्ष
आपकी राहों में फूलों को बिखराकर लाया है नववर्ष
महकी हुई बहारों की ख़ुशबू लाया है नववर्ष
अपने साथ नयेपन का तूफान लाया है नववर्ष
स्नेह और आत्मीयता से आया है नववर्ष
सबके दिलों पर छाया है नववर्ष
आपको मुबारक हो दिल की गराईयों से नववर्ष!


नए साल की नई सुबह, लाये नई खुशियों की सौगात, 
सुख-समृध्दी का हो साम्राज्य, सपनों को मिले एक नया आयाम!
यह नववर्ष शुभ हो, नई खुशियों को लाये! 
यह साल मनमोहक फूलों की तरह से हो आपका जीवन!!
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क्रान्ति का बिगुल बजाये

जनकल्याण हेतु अपनी आहुति जरुर दें
हर वो भारतवासी जो भी भ्रष्टाचार से दुखी है,वो देश की आन-बान-शान के लिए अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु एक बार 022-61550789पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.यह श्री हजारे की लड़ाई नहीं है बल्कि हर उस नागरिक की लड़ाई है. जिसने भारत माता की धरती पर जन्म लिया है.पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है