मेरा लगभग 13 साल पहले एक ख्याब देखा था कि-एक अपनी शेरों-शायरी की "आपकी शायरी" के नाम से एक किताब प्रकाशित करूँ और फिर उसके बाद "आपकी शायरी" के द्धितीय संसकरण में आमन्त्रित शायरों की रचनाएँ प्रकाशित हो.आज यह ख्याब किताब के रूप में तो नहीं,मगर ब्लॉग के माध्यम से कुछ हद तक पूरा हो रहा है.इसमें अपनी रचनाओं के साथ ही कुछ दिल को छू लेने वाली संकलन रचनाएँ भी प्रकाशित करूँगा.
कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे
बुधवार, अप्रैल 13, 2011
शायरों की महफिल से
5 टिप्पणियां:
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आप के जज्बे की तारीफ की जा सकती है, लेकिन ....
जवाब देंहटाएंहर चीज का कोई कायदा होता है। इसी तरह ग़ज़ल, शैर और कविता के भी कायदे होते हैं।
कायदे से न तो यह ग़ज़ल है, न ही शैर। हाँ कविता को कविता करने का आरंभिक प्रयास कहा जा सकता है।
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
जवाब देंहटाएंaap desh ke liye kuch likhen
जवाब देंहटाएंआज तक
जवाब देंहटाएंआज तक
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