शनिवार, जनवरी 14, 2012

कोई ऐसा धर्म चलाया जाए इंसान को इंसान बनाया जाए

1. भलाई से अगर हो मौत तो जीने से बेहतर है !
बुराई का तो जीना मौत के सदमें से बदतर है !!

2. चमन वालों ! अगर तर्जे अमल अपना न बदला तो,
चमन बदनाम भी होगा चमन वीरान भी होगा !

3.  दौर वह आया है, कातिल की सज़ा कोई नहीं !
हर सज़ा उसके लिए है, जिसकी खता कोई नहीं !!

4. आह ! जो किसी के दिल से निकाली जाएगी !
क्या समझते हो ? वो खाली जाएगी !!

5. सदा अमन चैन की तमन्ना रखने वालों !
कभी किसी को अमन-चैन परोसना भी सीखो !!

6. कोई रोती आँख न मिले, सुनें न मुख की करुण पुकार !
हँसता खिलता हर जीवन हो खुले धरा पर स्वर्ग द्वार !!

7. खेलकर हम जान पर उन्हें बचायेंगे !
यह न देखेंगे नदी में बहने वाला कौन है !!

8. खेलते हैं जो मजलूमों की जानों से !
हैवान अच्छे है ऐसे इंसानों से !!

9. अगर आराम चाहते हो तो नसीहत यह हमारी है !
किसी का मत दुखाओं दिल, सभी को अपनी जान प्यारी है !!

10. हम अत्याचार भी सह लेंगे मगर डर है तो यह है !
 कि ज़ालिम को कभी फूलते-फलते नहीं देखा है !!

11. घास जो खाते है, वो जानवर होते हैं !
उनका क्या नाम जो जानवर ही खाते हैं !!

12. बेगुनाहों का लहू बहता हो जिसके नाम पर !
खुदा की कसम वो बन्दगी अच्छी नहीं !!

13. अब तो धर्म(मजहब) कोई ऐसा चलाया जाए,
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए !
मेरे दुःख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा कि ,
मैं रहूँ भूखा तो तुझ से भी न खाया जाए !!

14.झूठ से टूटे आबरू, जुल्म से टूटे राज ! 
धंधा टूटे उधार से, शर्म से टूटे काज !!
लोभी मानव सोच ले, मन में करे विचार!
सुख दे के दुःख लेना, उसी का नाम उधार !!
15. दोस्तों, देश के नेताओं पर अर्ज किया है कि :-
रखा था जिन्हें फूलों की हिफाजत करने को,
ले उड़े है वो तो सारा चमन दोस्तों !
16. राम गये रामायण का आधार रह गया, 
कृष्ण गये गीता का सार रह गया !
महावीर का आदर्श कहाँ है जीवन में,
अब तो लेखन-भाषण का बाजार रह गया !!
17. प्रस्ताव पास करने से सुधार होने वाला नहीं, 
निंदा करने से उध्दार होने वाला नहीं !
बेबुनियादी योजना बनाने वाले बधुओं, 
ख्याली पुलाव बनाने से समुन्द्र पार होने वाला नहीं !!
18.इन चिरागों की रौशनी आँखों में महफूज रखना, 
चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा होगा !
हम मुसाफिर है तुम भी मुसाफिर हो, 
फिर किसी न किसी मोड़ पर मिलना होगा !!
19. गुरुदेव जी हम आपको कैसे विदा कर दें, 
आत्मा को शरीर से कैसे जुदा कर दें !
आपने ज्ञान के इतने हीरे-मोती लुटाए है, 
आपकी आज्ञा का पालन करने से कैसे इंकार कर दें !!
20. जिंदगी कुछ ऐसी भी होगी सोची न थीं, 
खुशी ऐसी भी होगी सोची न थीं !
प्यास बढ़ती गई जितनी भी हम पीते गए,
दिल की धड़कन बढ़ जायेगी सोची न थीं !!
21. कीमत पानी की नहीं प्यार की होती है, 
कीमत मौत की नहीं साँस की होती है !
रिश्ते तो बहुत होते है दुनियाँ में 
बात रिश्तों की नहीं विश्वास की होती है !!
22. मंज़िल दूर और सफर बहुत है, 
छोटे से दिल को आपकी फ़िक्र बहुत है !
हंसते रहेंगे आप हमेशा क्योंकि 
हमारी दुआ में असर बहुत है !!
23. दोस्तों, अपनी पत्नी को समर्पित अर्ज किया है कि :-
1. वफा करके वफा मांगी थीं, 
कोई तुम से जहाँ तो नहीं माँगा था !

2. पहले जो जान लेते अंजाम-ए--मौहब्बत, 
खुदा की कसम हम मौहब्बत न करते !

शुक्रवार, जनवरी 13, 2012

माँ देखें कहीं जेब में सल्फास तो नहीं

दोस्तों, गौर कीजिए अर्ज किया है कि :-
1. लहरों को शांत देखकर यह मत समझना कि समुन्द्र में रवानी (तेज) नहीं है !
जब हम उठेंगे तो तूफ़ान बनके उठेंगे, अब तक हमने उठने की ठानी नहीं है !!
2. फ़रिश्ते भी आसमां से अगर उतर आयेंगे !
वो भी सच बोले तो मारे जायेंगे !!

3. हमने काँटों को भी दिल में जगह दी !
लोग बेरहम है फूलों को मसल देते हैं !!

4. मत ले किसी मजलूम की आह !
यह तेरी हस्ती मिटा सकती है !!

5. खेत खड़े खाए है हिंसा ने, खून के दरिया बहाए है हिंसा ने !
गैरों और अपनों को नहीं बख्शा है, जुल्म इतने ढहाए है हिंसा ने !!
दोस्तों, गौर कीजिए अर्ज किया है कि :-

1. कौन कहता है कि पत्थर दिल आँसू नहीं बहाते, 
वरना यूँ ही तो पत्थरों से झरने न निकलते !

2.शहर में आकर पढ़ने वाले भूल गए, 
किसकी माँ ने कितना जेवर बेचा है !

3. ऐ-कृष्ण भगवान जब आपकी संगत में थें, 
कैसे फिर पांडव जुआरी हो गये !

4. हमने पढ़-लिख के फ़कत इतना हुनर सीखा, 
अपनी माँ भी हमको महरी नजर आने लगी ! 

दोस्तों, गौर कीजिए अपनी किस्मत पर अर्ज किया है कि :-

बदलेगी तक़दीर कभी हमारी भी दोस्तों, 
यूँ तो हार घड़ी खुदा भी वैरी नहीं होता.
 
दोस्तों, गौर कीजिए अपनी पत्नी को समर्पित अर्ज किया है कि :-

यहाँ पर लोग करते हैं पत्थरों की पूजा, 
वो क्या हुआ जो हमने एक वेवफा को पूजा !
दोस्तों, गौर कीजिए बेरोजगार बेटे की माँ की पीड़ा पर अर्ज किया है कि :-

माँ रोज जेब देखें बेरोजगार बेटे की, 
कहीं जेब में सल्फास तो नहीं !

बुधवार, जनवरी 04, 2012

दिशाहीन/भटकी हुई पत्नी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ

दोस्तों, आज अपनी दिशाहीन और भटकी हुई पत्नी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ गौर कीजियेगा. अर्ज है कि :- 
जब-जब मुझे(१) तुम्हारी जरूरत थी, 
तब-तब तुम मेरे साथ नहीं थीं. 
जब-जब तुम्हें(२) मेरी जरूरत थी, 
तब-तब मैं तुम्हारे साथ(३) था. 
दुआ है भगवान से जब मेरी मौत(४) हो, 
तब भी तुम साथ न हो. 
जब सफलता तुम्हारें कदम(५) चूमें, 
तब-तब मेरी बातें व आत्मा(६) तुम्हारें साथ हों.
१. खूनी ववासिर की बीमारी, पत्थरी का ऑपरेशन, टाइफाईड, डिप्रेशन व डिमेंशिया आदि अनेकों बिमारियाँ.
२. नसें काटकर, फिनाईल की गोली खाकर आत्महत्या करने का प्रयास करने पर बचाने के लिए इलाज के समय और पहले बच्चे को जानबूझकर दर्दनिवारक गोली खाकर नुक्सान पहुँचाने पर इलाज के समय.
३.धन से, मन से, शरीर से और आत्मा से तुम्हारे साथ था.
४. तुम्हारे झूठे केसों से परेशान होने के कारण बनी बिमारियाँ या भविष्य में दिमाग की नस फटने के कारण या किसी प्रकार की दुर्घटना के कारण हो.
५. अपनी गलतियों का प्रश्चाताप करके आगे बढ़ों और अपना सुखमय जीवन व्यतीत करों.
६. जब तुम सफल हो तब हम जिन्दा न हो यानि हमारा शरीर इस संसार में ना हो.