सोमवार, अप्रैल 18, 2011

शायरों की महफिल से


श्री अन्ना हजारे अभियान के बारे में बताते हुए
 दोस्तों! आज की रचना "एक तारा अपने पास बुलाता है"सीमा सिंह द्वारा रचित है.मिस सीमा सिंह से मेरी मुलाकात 5 अप्रैल को श्री अन्ना हजारे के जन लोकपाल बिल के दौरान हुई थीं.वहां पर मैंने अपना विजिटिंग कार्ड दिया.उसके बाद इनका मेरे पास फ़ोन आया.विचारों का आदान-प्रदान हुआ.मिस सीमा सिंह विचारों को जानकार अच्छा लगा और पता चला पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ना चाहती है.मगर इन्होने पत्रकारिता का कोई कोर्स नहीं किया हुआ है.लेकिन इनकी विचारधारा और कई लेख पढ़कर मुझे ज्ञात हुआ एक अच्छे पत्रकार के सभी गुण इनमें विधमान है.इनके पास एम्.ए की डिग्री है और पत्रकारिता का कोई अनुभव नहीं है.मेरे पास पत्रकारिता का अनुभव है और मैट्रिक का सर्टिफिकेट है.हम दोनों में एक ही समानता है कि-दोनों को नौकरी नहीं मिलती है.कहीं पर अनुभव है तो डिग्री नहीं और कहीं पर डिग्री है तो अनुभव नहीं.मेरी विचारधारा इस विषय पर यह कहती है कि-जब एक मोची को जूते की मरम्मत करने का अनुभव है.तब मुझे उसकी डिग्री का क्या आचार डालना है.जब एक व्यक्ति के पास कार्य करने के गुण(डिग्री) है.तब अनुभव तो कार्य करते रहने के बाद ही आता है.
                       दोस्तों, मिस सीमा सिंह जी की उपरोक्त पहली प्रकाशित रचना है. अगर आपको इनकी रचना में कुछ भी अच्छा लगा हो तब आप टिप्पणी करने में कंजूसी मत करें.एक नए लेखक या पत्रकार का आप कितना हौसला बढ़ाते हैं. इनकी उपरोक्त रचना को कई बड़े संस्थान अस्वीकार कर चुके थें, क्योंकि वहां पर बडें-बडें लेखकों का नाम और राज चलता है. क्या मैंने उपरोक्त रचना प्रकाशन के चुन कर कोई गलती की है. यह सब आपकी टिप्पणियाँ ही बतायेंगी.

एक तारा अपने पास बुलाता है
दूर गगन से कोई एक तारा 
मुझको अपने पास बुलाता है 
शायद कुछ कहना चाहता है
मुझसे पर कह नहीं पाता है.
पास जाती हूँ जितना मैं 
उतना मुझसे दूर वो हो जाता है
रूठ जाती हूँ जब मैं उससे 
दूर से मुझे मनाता है
जब पास बुलाती हूँ मैं
उसे पास नहीं वो आता है
मुझसे अठखेली खेलकर 
अपने पास बुलाता है.
जाऊं भी तो कैसे 
दूर बहुत वो रहता है
चोरी-चुपके दूर गगन से वो
मुझको अपने पास बुलाता है
रातों को जब मैं सोना चाहूँ
सोने नहीं देता है, ख्याबों में आकर 
मुझसे मीठी-मीठी बातें करता है
मुझे ख्याबों की दुनियां में छोड़कर 
 फिर दूर गगन में चला जाता है
दूर गगन से कोई एक तारा 
मुझको अपने पास बुलाता है 
                               -सीमा सिंह

बुधवार, अप्रैल 13, 2011

शायरों की महफिल से

 आज एक दोस्त को ईमेल से भेजी रचनाओं का अवलोकन करें. ईमेल से दोस्त को भेजी रचना क्यों और कब, किन हालातों में लिखी गई है. इसका जिक्र भी किया गया है. मुहब्बत दोस्तों की है, जो निरन्तर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. आप की मुहब्बत में कितनी ताकत है. यह आपके द्वारा टिप्पणी करने के लिए निकले समय से पता चलेगा और टिप्पणी करते भी हैं या इससे एक समय की बर्बादी समझते हैं. फिर टिप्पणी करने के लिए अपनी अँगुलियों को कौन-कौन कष्ट देता है. यह तो भविष्य की गर्त में है. उपरोक्त ईमेल पत्र में से दोस्त (लड़की) का नाम सुरक्षा की दृष्टि से हटा दिया है. समाज व देश के प्रति हर व्यक्ति की जिम्मेदारी और फर्ज भी होता है.